होली के त्योहार को लेकर थोड़ा संशय बना हुआ है। मिथिला और बनारस पंचांग के अनुसार, 13 मार्च को होलिका दहन होगा, जबकि 14 मार्च को पूर्णिमा और स्नान-दान का समय होगा। होली का उत्सव 15 मार्च को मनाया जाएगा। होलिका दहन के दौरान भद्रा मुहूर्त समाप्त होने के बाद पूजा की जाएगी। होली के दिन भस्म लगाने से सुख-समृद्धि और आयु में वृद्धि होती है। इस दिन रंगों का उपयोग करना शुभ माना जाता है।

होली को लेकर (Holi 2025 Date) लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है। मिथिला व बनारस पंचांग के अनुसार, 13 मार्च गुरुवार को होलिका दहन है। फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा दो दिन होने से हो होलिका दहन के एक दिन बाद होली का पर्व मनाया जाएगा। फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च गुरुवार को तथा स्नान-दान की पूर्णिमा 14 मार्च शुक्रवार को होगी।
फाल्गुन की पूर्णिमा गुरुवार की सुबह 10.11 बजे से आरंभ हो रही है और भद्रा भी उसी समय से आरंभ हो रहा है। भद्रा गुरुवार की रात 10.47 बजे तक रहेगा। 14 मार्च शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि दोपहर 11.22 बजे तक ही है।
रंगोत्सव का पर्व होली उदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में मनेगा। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 15 मार्च शनिवार को होली का पर्व मनेगा। होली के दिन सुबह 7.46 बजे तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र इसके बाद हस्त नक्षत्र पूरे दिन रहेगा।
ज्योतिष आचार्य ने बताया होली का मुहूर्त
ज्योतिष आचार्य राकेश झा ने ज्योतिष शास्त्र के हवाले से बताया कि होलिका दहन को लेकर शास्त्रों में तीन नियम बताए गए हैं। पहला पूर्णिमा तिथि, दूसरा भद्रा मुक्त काल व तीसरा रात्रि का समय होना चाहिए। भद्रा में होलिका दहन करना वर्जित है। 13 मार्च की रात में पूर्णिमा तिथि विद्यमान रहेगी तथा भद्रा की रात्रि 10.47 बजे खत्म होगा।